कोई है - पार्ट २
पलों में बंधी जिंदगी को खोल दो
खामोशियों से कुछ तोह बोल दो
अंधेरों की परछाइयां भी कुछ कहें
बिन पूछे ही मेरे दिल में रहें
किसी पंछी के परों पे उड़ रहा हूँ
खुशनुमा सुबह की धुप में धुल रहा हूँ
दो ख्वाब शायद बादलों में रह गए हैं
बारिश की बूंदों में उनको ढूँढता हूँ
No comments:
Post a Comment