बदलता है समय और बदल जाती है हमारी सुबह।
खुशबुएँ, रास्ते, दोस्त, मंजिलें, कल्पना, विचार,
आख़िर सभी कुछ तोह बदल जाता है।
जी हाँ, प्रकृति का दूसरा नाम शायद बदलाव ही है।
ऐसी ही बदलती हुई सुबह थी वह,
राहगीरों की नज़रें बता रही थी की
वे काफ़ी खुश हैं।
शहर के माहौल से निकलना,
वर्त्तमान के कुछ पलों को,
भविष्य की यांदों को सौंप देना,
बेहद सुखद अनुभव है।
साफ़ ठंडी हवा, गहरे नीले आकाश में
सूर्य के दौड़ते हुए अनगिनत घोडे ,
हमारी मोटर के बीच से गुज़र रहे हैं।
बड़ी पगडण्डी chhoti पगडण्डी को
बेहिचक रास्ता दे रही है।
खैर बात करें उस सुबह, उस सफर की,
और सात खूबसूरत मुस्कराहटों की।
जिसे देख कर वादियों ने भी फिर से सीखा,
खुलके मुस्कुराना और दिलों को लुभाना।
to be continued..
1 comment:
Ati Uttam Piyush bhai
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