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Saturday, October 04, 2008

रंगों की खुशबू या खुशबू के रंग

रंग बिना जीवन मानो हसी बिना बचपन, जोश बिना योवन, अश्रु बिना क्रंदन, वर्षा बिना सावन और पेड़ बिना आँगन। ऐसे ही कुछ अनमोल रंगों का ताना बाना है हम सबकी ज़िन्दगी जहाँ खुशियों और दुःख के कई पड़ाव पार करके हम अंत में जब पीछे मुडके देखते हैं तोह रह जाते हैं सिर्फ़ यह रंग।

हम नहीं जानते कहाँ से आते हैं यह अनगिनत रंग। शायद प्रकृति के कहने पर फूलों ने मनुष्य को उपहार में दिए हैं। ऐसे ही रंगों की खोज में निकल पड़ा हूँ मैं और इसी उधेड़बुन में आज मुझे मिला एक खूबसूरत रंग। जी हाँ, रंग फूलों से ही आए हैं इस बात का मुझे यकीन हो गया, फूलों की खुशबू इन रंगों में घुल सी गई है।

जीवन में इस खुशबू का होना एक अलग ही अनुभव है। आंखों से निकलने वाले आंसू को पल भर में होठों की मुस्कराहट बना देना, यह सिर्फ़ खुशबू ही कर सकती है। अपनी खुशनुमा ज़िन्दगी में से कुछ पलों की खुशी वोह बिन मांगे ही दे देती है। उस दिन, पता नहीं क्या हुआ था मुझे? मानो समय थम सा गया हो कुछ पलों के लिए। ख़ुद को छु के भी देखा, स्वप्न नहीं था। कल्पना के तारों को छु जाना उसके लिए एक मासूम सी गलती ही तो है। अभी आप से उसका परिचय नहीं कर सकता क्यूंकि मेरे लिए वोह अभी भी अनजान है।

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