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Tuesday, August 31, 2010

हम सब चटोरे हैं!

अरे भाई , अब मान भी लीजिये। क्या कहा, नहीं मानोगे? ठीक है, पर सच तो यही है की हम सब (दिल्लीवाले)चटोरे हैं। पर दोस्त इसमें हमारी कोई गलती नहीं। दिल्ली के हर कोने पे बिछे तरह तरह के व्यंजनों के जाल से बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। बेचारा दिल्ली वाला करे तो क्या करे आखिर दिल तो बच्चा है जी :)



खैर समोसे , छोले भठूरे , टिक्की और ढोकले की फ़ौज से तो जैसे तैसे बच भी ले, पर आलू चाट की बमबारी, और गोल-गप्पों की तोप और कुल्फी रॉकेट लौंचेर के आगे तो बड़े-बड़े ढेर हो जाते हैं। पर समस्या यहीं पर ख़त्म नहीं होती है। जहाँ एक तरफ हम दिल्ली वाले इमारती और जलेबी की गलियों से गुज़रते हुए मोटापे नामक शत्रु के आक्रमण से बचते फिरते हैं वहीँ दूसरी तरफ बिरयानी नगर और नूडल पार्क के दंगे हमें नेस्तनाबूद करने को तैयार खड़े रहते हैं ।

आखिर बेचारा दिल्ली वाला करे तो क्या करे? उसके पास थक हार के दुश्मन के आगे जीभ टिका देने के आलावा कोई और उपाय नहीं।

पर भाई साहब कमज़ोर दिल वालों को इस जंग के मैदान में आना ही नहीं चाहिए था।

shh चुप रहिये आप, अभी बोल दिया है फिर न कहना , ऐसी बात कहने वाले को हमारी दिल्ली में सज़ा-ऐ-निम्बू पानी दे देते हैं :-) और बड़े पापियों को तो नाथू हलवाई के यहाँ के पकोड़े और रसमलाई से सराबोर किया जाता है। और फिर भी अगर कुछ दम बचे तो उन्हें रोज़ मक्खन में नहाये परांठों का सेवन करने पे मजबूर किया जाता है। ऐसी सज़ा से तोह यमलोक के पहरेदार भी डरते हैं। आखिर वे भी आज कल बाड़ी बिल्डिंग के लिए जिम्मिंग जो कर कर रहे हैं ;)

उम्मीद है आपको दिल्लीवालों के चटोरे होने की दुःख भरी दास्ताँ समझ आ गयी होगी। अगर अआपके दोस्त दिल्ली में रहते हैं तो अगली बार आप अपने मूह में कृपा करके टेप लगा के आईयेगा वर्ना आप हमें ही दोष देंगे।

5 comments:

रानीविशाल said...

बड़ी ही चटपटी पोस्ट है .....चित्र भी ऐसे लगाएं है आपने कि मुह में पानी आगया :)
टूटे तारों ने तो किस्मतों को सवाँरा है

SKT said...

एक चुटकुला है:
एक- 'इस लड़की ने कई घर बिगाड़े हैं'
दोसरा- ए भाई... एक मेरा और बिगड़वा दे ना!
...तो पियूष जी हम मरने को तैयार बैठे हैं, रसगुल्लों, समोसों, चाट पकोड़ों से! जरा जल्दी आर्डर दो ना, अब एक-एक सांस भारी पड रहा है !!

Piyush Aggarwal said...

जब आप कहें त्यागी सर :)

SKT said...

धन्यवाद, दिल्ली आने पर दावत होगी

RAVINDRA said...

mai late pahucha hu ............
ase nahi chalega
chalo kuch taza ho jaye