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Sunday, January 16, 2011

कुछ दीवानापन अब भी बाकी है

जी हाँ, कुछ दीवानापन अब भी बाकी है,
इन गुमसुम हैरान नज़रों में कहीं।
सोच में हूँ।
ढून्ढ रहा हूँ उन पंखों को,
बचपन में लगाया करता था।
पर समय के साथ,
उड़ना जान गया हूँ।
यकीं कीजिये,
थोडा दीवानापन अब भी बाकी है।



पूछ के तो देखिये,
इस दीवानेपन की हद क्या है?
हमारा जवाब यही होगा,
डूब के तो देखिये,
हाथ थाम के तो देखिये,
खुद ही जान लोगे,
इस सिरफिरे में थोडा दीवानापन अब भी बाकी है।


देखते हैं कब तक मानोगे,
हवाओं के थमने तक ही सही,
वक़्त के रुकने तक ही सही,
एक दिन इस दीवाने को पहचानोगे,
वादा है,
ख्वाब में भी ढून्ढ पाओगे,
क्या करें?
आखिर थोडा दीवानापन अब भी बाकी है

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