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Saturday, August 11, 2012

भारत रत्न करीना कपूर की जय हो

दोस्तों, जैसा की आप जानते ही हैं की आजकल हमारे देश में नारी मुक्ति मोर्चे ने हवा पकड़ ली है. इस विषय में मैंने अपने लेख आज घोड़ियाँ हड़ताल पे हैं में भी लिखा था. बात अब सिर्फ नारी के सम्मान तक ही नहीं सीमित है, बल्कि उन्हें मिलने वाले हक की है जिससे उन्हें आजादी के ६५ साल बाद भी वंचित रखा गया है. इसी बात से जुडी एक अति महत्त्वपूर्ण चीज़ मैंने हाल ही में देखि और जिसे देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और इस लेख को लिखने का फैसला मैंने उसी पल कर लिया.

अब मैं आको कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर आपके कान अवश्य ही खड़े हो जाएंगे, हमारे देश सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न, इसे हमारे विशाल और महान लोकतंत्र में चलने वाली ताना शाही ही कहेंगे की अब तक दिए गए 41 भारत रत्न में से सिर्फ ४ ही महिलाएं हैं. अगर यकीं नहीं आता तो यहाँ क्लिक करके खुद ही देख लीजिये, प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं. मतलब १२५ करोड़ की आबादी वाले देश में क्या सिर्फ ४ ही महिलाएं भारत रत्न के योग्य थी? अजी मैं यह पूछता हूँ की बाकी औरतें क्या कीकली खे रही थी. और इन चार में से एक दिवंगत भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी, प्रख्यात समाज सेविका मदर टेरेसा, सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर और एम् एस सुब्बलक्ष्मी हैं. यह सब कुछ विचित्र सा नहीं लगता आपको?

खैर, इस मुद्दे को कुछ और आगे बढ़ाते हैं, अब सवाल आता है की आज के सन्दर्भ में हम किस नारी को भारत रत्न देना पसंद करेंगे, वैसे इस बहस का कोई अंत नहीं है, मैं कुछ कहूँगा, कोई और कुछ भी कहेगा, और आप तो कुछ और ही कहोगे. इस कहने सुनने को छोडिये, कुछ देर के लिए अपनी सोच का कटोरा मुझे सौंप दीजिये और यह सुनिए.
अब कई नामों पे विचार करने के बाद जो एक नाम मेरे ह्रदय की गहराईयों में से उभरा है वह और कोई नहीं, आप सबकी और खास कर अपने सैफ खान की चहेती, प्यारी, कुमारी, देखने में लगती हैं बेचारी सी जो नारी, कपूर खानदान की दुलारी - बेबो उर्फ़ करीना कपूर. अर्र्रे आप तो उठ खड़े होकर जाने की तय्यारी में लग गए हैं. कम से कम यह तो जान लीजिये की करीना को ही भारत रत्न के लायक क्यूँ चुना मैंने?
सच बताऊँ तो दिल पर पठार रखना पड़ा. पर जब मैंने आंखें बंद कर बौद्ध चिंतन करते हुए सोचा तो मुझे और कोई नाम नहीं दिखाई दिया सिवा करीना कपूर के जिन्होंने अकेले ही भारत की महिलाओं को न सिर्फ जोड़ने का काम किया बल्कि इस देश की महान और प्राचीन विरासत को फिर से उभारने का मौका दिया. चलिए मैं जादा न बोलते हुए आपको मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम से एक झलकी दिखता हूँ, शायद आप मेरा इशारा समझ जाएं.  
 
 

जी हाँ इस गीत में मनोज कुमार ने जीरो यानी की शून्य का ज़िक्र किया है जिसकी खोज हमारे भारत देश में ही हुई थी. ज़रा सोचिये करीना के आने से पहले शायद ही भारत की महिलाओं में शून्य को लेकर इतना लगाव रहा हो. पर पिछले कुछ सालों से "साइज़ जीरो" कल्चर ने दुनिया भर में मानो एक क्रांति सी ला दी है. आज की नारी का जीवन शून्य यानी के साइज़ जीरो से इस कदर जुड़ चुका है की शायद गणित के द्रोणाचार्य आर्यभट ने भी शून्य खोजते समय इसकी कल्पना नहीं की होगी.

अब आप मुझे एक भारतीय नारी का नाम ऐसा बताइए जिसने भारत की सभ्यता और संस्कृति की इतनी बड़ी धरोहर को दुनिया भर की युवतियों से लेकर आंटियों तक न सिर्फ पहुँचाया बल्कि साइज़ जीरो से जुड़े लाखों व्यवसायों ( पार्लर, वी एल सी सी , काया जैसे ब्रांड ) को बढ़ने का मौका दिया जिससे हमारी आर्थिक उन्नति में भी योगदान हुआ.

मेरे ख्याल से करीना कपूर भारत रत्न की सबसे पहली दावेदार हैं. इससे बड़ी उपलब्धि न ही है और न ही हो सकती है. अगर इस लेख को पढ़कर आपको भी लगता है की करीना कपूर को भारत रत्न मिलना चाहिए तो नीचे कमेन्ट में मुझे ज़रूर लिखियेगा और अपने सुझाव भी दीजिएगा. :)

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