हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है
छोटे से कमरे में हजार सपनों को खुली सांस लेते देखा है
एक आम सी सुबह को ना जाने कैसे खास होते देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है
बंद आंखों से सपनें तोह बहुत देखे थे
पर खुली आँख के सपनें को
हकीकत होते भी देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है
कई सालोंकी मायूसी को
दबे पाओं गायब होते देखा है
और छुपी हुई मुस्कराहट को
पल भर में ठहाका बनते देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है
2 comments:
Hey Piyush......
Its so lovely...... loved it....... keep it up..... its so touching....... cheers dude!!!! :)
humna na socha tha ki tumna jindigi ko itna pass sa choo kar dekha hai
per jo bhi a dekha ha wo sacch hee dekha hai
haan per lakin tumna zindigi ka ek hee chera dekaha hai
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