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Thursday, February 05, 2009

तनहा दिल तनहा सफर

विश्वास नहीं होता, एक बरस बीत गया हौज़ खास के इस खूबसूरत आशियाने में। यूँ मानो की कल की ही बात हो जब मैं पहले दिन यहाँ आया था। दिल में एक मायूसी सी न जाने कब से घर किए बैठी थी। वोह रात मैं कभी नहीं भूल सकता। ज़िन्दगी से बहुत सी उम्मीदें लिए मैंने इस घर में कदम रखा था। यह मेरे लिए एक कमरे से कहीं जादा है। इस घर की हर चीज़ मेरे अनगिनत खुशी के पलों को बयां कर सकती है। पिछले एक साल में मैंने बहुत कुछ पाया है और सबसे बेशकीमती चीज़ जो इस घर ने मुझे दी है, वोह है थोड़ा सा सुकून जो मुझे पिछले कई सालों में कहीं नहीं मिला। उन तनहा लम्हों में मैंने एक अजीब सी कशिश को महसूस किया है। यह एक साल मेरी ज़िन्दगी का सबसे अहम् साल रहा है, ख़ुद को पाने की खोज में जो मैं घर से निकला था, काफ़ी हद तक मैं पाने में कामयाब रहा हूँ। मुझे नहीं पता ज़िन्दगी यहाँ से कहाँ ले जा रही है, पर एक बात की बेहद खुशी है की मैंने इस छोटे से घर में अपनी खूबसूरत खयालो की दुनिया को पा लिया है।


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