इतने अरसे बाद कितना अच्छा लग रहा है, ख़ुद से बातें करना, कुछ बीते लम्हों के बारे में सोचना, बिना किसी चिंता के। शायद पिछले दिनों में कहीं खोया हुआ था। जानते हुए एक अनजान सड़क पे निकल चला था। तोह ऐसे में गुमना तोह तय था। आज ख़ुद से वापस मुलाकात हो रही है। जनाब एक बात तो बताओ, नौकरी छोड़ के कैसा लग रहा है? सच कहूं तो थोड़ा खालीपन है, पर शायद यह खालीपन ज़रूरी था। अब तो लगता ही की इस उलझी हुई ज़िन्दगी को सुलझाना, अपने अतीत को आखिरी बार देखना, और एक खूबसूरत भविष्य की ओर रुख करना ही मेरा कर्म है, फ़िर चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यूँ न हो। और जानते हो इस बार मैं एक आम इंसान की तरह परिस्थितियों से समझौता कर लेना चाहता हूँ। आज, अभी बल्कि इसी पल से अपनी ज़िन्दगी के हर पल को खुल के जीना चाहता हूँ।
शायद खुशियाँ यहीं कहीं छुपी बैठी होँ,
अरे दोस्त सुन तो ज़रा,
इस नटखट ज़िन्दगी को थोड़ा गुदगुदा जा,
मैं इसे ज़ोर से ठहाके मारते देखना चाहता हूँ।
देखूं तो ज़रा,
मुस्कुराती ज़िन्दगी अब भी वैसी ही खूबसूरत दिखती है,
जैसी की बचपन मैं दादी की गोद मैं देखा था?
5 comments:
Hey why is this all in Hindi? new experiment?
Nice to read something in Hindi after a long time...
Divya
Well said...
Life is always beautiful and simple...its we who make it complicated!
@ divya - thanks a ton for checking out my blog
@ saurav - sir ur words of appreciation always keep me going thanks again :)
life has so much to offer..but we often miss the beauty of it.
aap kaviayen kab se likhne lage?? newaz..gud to knw tht u got ths break...m luking fwd to it...whenever it happens :)
ENJOY!!!!
u can make a person fall in love with life! cheers dude!
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