एक जवान रात चांदनी से पूछ बैठी,
क्या चाँद तुम्हे मुझसे अधिक प्रेम करता है?
कुछ पल सोचने के बाद, चांदनी बोली:
की जिस तरह श्री कृष्ण के भीतर राधा
उनके प्राण बनके रहती हैं,
मैं चाँद में उसकी श्वास, धड़कन और आत्मा
बनके रहती हूँ।
और ऐ हसीं रात तुम वृन्दावन की
वोह मधुर गलियां हो
जो राधा कृष्ण के अटूट प्रेम के
दृश्य को हल पल महसूस कर रही हैं,
तुम जमुना का वोह किनारा हो
जहाँ देवताओं ने राधा-कृष्ण की
चरण वंदना की थी,
तुम मीराबाई हो जो श्री कृष्ण
के प्रेम में बावरी होकर
सारे ब्रह्माण्ड में भटकती हो।
तुम सत्य हो।
ऐ हसीं सुहानी रात, तुम धन्य हो!
7 comments:
चांदनी और रात का यह वार्तालाप अनुपम है ..!!
बहुत बढ़िया!!
उम्मीद है आपको मेरी अन्य रचनाएँ भी पसंद आएंगी
Bahut hi pyaari paribhashaa.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
शानदार शब्द और भाव से भरी अनूठी रचना...वाह...
नीरज
शुक्रिया नीरज हौसला बढ़ने के लिए :)
love and wishes from a friend. keep writing , for its a pleasure to read your written works. (sorry dont know how to type in hindi fonts)
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