
फर्क सिर्फ़ प्यार का है,
ज़ंग और अमन में, आंसू और हँसी में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
रिश्तों की दूरी, अजनबी की करीबी
में फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
अनसुनी धड़कन, और दीवाने हुए मन में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
नहाए खेतों और तपती रेत में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
सूरज की गर्मी और चाँद की नरमी में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
अनसुलझे सवाल और एक खूबसूरत जवाब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
तुझमें, मुझमें, और हम सब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
5 comments:
अनसुनी धड़कन, और दीवाने हुए मन में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
bahut hi sunder rachana badhai
तुझमें, मुझमें, और हम सब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
-बहुत सही!
बिलकुल सही ..फर्क सिर्फ प्यार का है ..!!
aap sabka bahut bahut shukriya :)
Mindblowing...Mindblowing!
This is your best piece yet!If this is solely your thought...then you should leave your media profession and write Hindi Poetry fulltime!
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