पियूष अग्रवाल द्वारा रचित जीवन के अनमोल रंग एक प्रयास है जीवन के उन रंगों को उभारने का जिन्हें हम आम तौर पे नज़र अंदाज़ कर देते हैं
आदतन तुम ने कर दिए वादेआदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में बारहा रुक करहम ने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रबयह गुनाह हम ने एक बार किया।
- गुलज़ार साहेब
आभार गुलज़ार साहब की रचना पढ़वाने का.
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