
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है
होंठ चुप चाप बोलते हो जब
सांस कुछ तेज़ तेज़ चलती हो
आँखें जब दे रही हो आवाजें
ठंडी आँहों में सांस जलती हो
ठंडी आँहों में सांस जलती हो..
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है
आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख्याल लिए
आईने देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए
एक मासूम सा सवाल लिए
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है..
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब करार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है...
गायक - मोहम्मद रफ़ी
फिल्म - सीमा (1971)
गीतकार - गुलज़ार
7 comments:
यह एक संयोग ही है की कमेंट्स लिखते समय मैं येही गीत अपने कंप्यूटर पर सुन रहा हूँ. बहुत ही सुंदर गाना है. आप इसके लिए बधाई के पत्र हैं. शायद इसका दूसरा पार्ट शारदा और रफ़ी जी की आवाज़ में भी है.
ji aapne bilkul sahi farmaya..yeh sharda ji aur rafi ji ki awaaz mein bhi hai.
पढ़्कर फिर यू ट्यूब पर सुना...आनन्द आया.
bahtrin bahut khub
badhia aap ko is ke liye
shkehar kumawat
bahtrin bahut khub
badhia aap ko is ke liye
shkehar kumawat
Dil baag baag ho gaya !!
Post a Comment