जब शब्द न हों हुस्न की खूबसूरती बयां करने के लिए तो दिल कुछ ऐसा कहता है।
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम,
जिनसे मिलने की जुस्तजू हर पल कर रहे हैं हम।
दिलों को लूट लेना उनका शौक सा लगता है,
दिल लुटा देना हमने भी सीख रखा है।
वह लुफ्त लेते हैं हमको दर्द देने में,
नशा ढून्ढ रखा है हमने भी दर्द सहने में।
एक बार जो वह देख ले यहाँ आकर
लुटा दें यह ज़िन्दगी उसे खुदा बनाकर।
उन्ही नज़रों के उजालों से ही है रोशन,
मेरे दिल का हर कोना और यह बावरा मन
संगमरमर से तराशी हुई सी वह लगती है,
ख्वाबों में भी दीवाना करे रखती है।
जो रूठी इस बार तो निकल न जाये यह दम,
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम।
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम।
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम,
जिनसे मिलने की जुस्तजू हर पल कर रहे हैं हम।
दिलों को लूट लेना उनका शौक सा लगता है,
दिल लुटा देना हमने भी सीख रखा है।
वह लुफ्त लेते हैं हमको दर्द देने में,
नशा ढून्ढ रखा है हमने भी दर्द सहने में।
एक बार जो वह देख ले यहाँ आकर
लुटा दें यह ज़िन्दगी उसे खुदा बनाकर।
उन्ही नज़रों के उजालों से ही है रोशन,
मेरे दिल का हर कोना और यह बावरा मन
संगमरमर से तराशी हुई सी वह लगती है,
ख्वाबों में भी दीवाना करे रखती है।
जो रूठी इस बार तो निकल न जाये यह दम,
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम।
एक हुस्न की तारीफ में शब्द पड़ रहे हैं कम।
3 comments:
अच्छी पोस्ट................ बधाई स्वीकारे
http://athaah.blogspot.com/
इस रचना के लिये धन्यवाद
ऐसे लेखन कि ब्लोग जगत को आवयश्कता है
Thanks for mailing the blog's i/d. Now I shall be following it regularly.
Post a Comment